राना प्रताप मार्ग स्थित ग्लोबल हेल्थ स्टेटजीज की ओर से टीबी रोग पर प्रेस वार्ता हुई। इस दौरान डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ के स्टेट ट्यूबरक्यूलोसिस डॉ संतोष गुप्ता, लखनऊ अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स से डॉ शिरीष भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान मौजूद रहे।
लखनऊ (LUCKNOW): मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया (MCI) की नई गाइडलाइन के मुताबिक जो नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे, वह प्राइवेट हों या सरकारी जब तक वहां टीबी का इलाज नि:शुल्क नहीं होगा तब तक उन्हें मान्यता नहीं मिलेगी। यह बात केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने कही।
मंगलवार को राना प्रताप मार्ग स्थित ग्लोबल हेल्थ स्टेटजीज की ओर से टीबी रोग पर प्रेस वार्ता हुई। इस दौरान डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ के स्टेट ट्यूबरक्यूलोसिस डॉ संतोष गुप्ता, लखनऊ अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स से डॉ शिरीष भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान मौजूद रहे।
सूरज की रोशनी में पांच मिनट भी बैठा जाए तो टीबी के बैक्टीरिया मर जाते हैं और टीबी की बीमारी सही हो सकती है। इसलिए सूरज की रोशनी लेनी चाहिए। सभी अस्पतालों में टीबी का इलाज और सभी जांचें नि:शुल्क हैं। इसके बावजूद लोग प्राइवेट अस्पताल की ओर भागते हैं।
डॉ संतोष गुप्ता ने बताया दस लाख मरीजों में एक मरीज टीबी का होगा तब कह सकेंगे कि टीबी खत्म हो गई है। 2025 तक ऐसा करना हमारा लक्ष्य है। टीबी की जांच करने से पहले मरीज में डायबीटीज, कुपोषण, एचआईवी या अन्य कोई बीमारी की जांच करनी होगी। जब यह सब बीमारियां सही होंगी तभी टीबी का इलाज संभव हो पाएगा।